भवन की विशेषताएँ

भवन की विशेषताएँ

प्राचीन समय में प्रकृति के बीच रहकर अध्ययन करवाया जाता था | वह गुरुकुल परम्परा थी, जहाँ हर समय गुरु के समीप रहकर ज्ञानार्जन किया जाता था |

लाभं भी प्रकृति से प्राप्त अवयवों से बना आश्रमनुमा भवन है जिसमें मिट्टी, चुना आदि का प्रयोग कर कक्षों का निर्माण किया गया है | इसमें सीमेंट व ईट का प्रयोग नहीं के बराबर किया है | बीच में प्राचीन आश्रम के आधार पर चौक दिया गया है | जहाँ बैठकर खुला आसमान भी देखा जा सकता है |

सर्दी व गर्मी दोनों ही मौसम के अनुकुल रहने वाला यह भवन ज्ञान में तो सहायक है की साथ में शरीर को भी स्वस्थ रखता है | छत पर आरसीसी और पट्टियों के भवन बनते ही है इस भवन में मिट्टी से बने कोल्हू का प्रयोग किया गया है | जो गुरुकुल परम्परा को पुनर्जीवित करता है |

आइये ! चले पुरातन परम्परा की ओर, जहाँ सुकून है, शांति है और ज्ञान का खजाना है |