भारत वर्ष के मगध, काशी, मत्स्य, गंधार आदि सोलह जनपदो में से एक जनपद ‘मारवाड़’ वर्तमान राजस्थान में स्थित है | मारवाड़ भू-भाग प्राचीन परम्पराओं के लिए प्रसिद्ध है | इसी जनपद का एक नगर, राजपूत राजवंशो का साक्षी बीकाणा, वर्तमान में ‘बीकानेर’ शहर के नाम से पहचाना जाता है | राव बीका के शहर में बनी प्राचीन हवेलियां राजा-महाराजाओं के शोर्य-पराक्रम, वीरता, दानवीरता की साक्षी हैं |
‘छोटी काशी’ के नाम से विख्यात यह नगरी संत-महापुरुषों की दिव्यतम् साधना की तपस्थली भी रह चुकी है | परम विद्वान, क्रियानिष्ठ, शास्त्र संगत आचरण करने वाले महा-मुनिशियों की यह मरु-धरा त्याग, तप, सत्य, अहिंसा के कोहिनूर उगलने के लिए उर्वधर है |
राजस्थानी गौरव और संतो की साधना की गिली मिट्टी में रोपित किए बीच का फल रूप है यह आरुग्गबोहिलाभं, जिसकी सोंधी सुगंध से आकृष्ट होकर ज्ञान क्षुधातुर विहग स्वतः उड़े चले आते है और इस फल को ग्रहण कर अपनी क्षुधा शांत करते है |
यह प्रकल्प निर्ग्रंथ संत-महापुरुषों के आत्मिक चिंतन से निकला वह अमूल्य घृत है, जो सत्यान्वेषी जीव के परम कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने में सक्षम है |