आरुग्गं भोजन शाला

आरुग्गं भोजन शाला

 

‘जैसा खाए अन्न, वैसा होवे मन’ कहावत को ध्यान में रखते हुए आरुग्गबोहिलाभं के पाक कक्ष में अध्ययनार्थियों के लिए पाक कला में कुशल महिलाओ द्वारा भोजन बनाया जाता है | शुद्ध एवं सात्विक भोजन ही दिया जाता है |

विशुद्ध देशी गाय द्वारा प्रदत्त दुध से बनने वाले घी, छाछ, दही आदि का ही उपयोग रसोईघर में होता है |

रसोईघर में धोवन पानी की उपलब्धता सदैव रहती है |

नियम प्रत्याख्यान वाले तपस्वियों के पारणे के लिए विशेष व्यवस्था रहती है रसोईघर में केवल अधिकृत माताओं बहिनों को ही प्रवेश की अनुमति दी जाती है | बाहर से मिठाई आदि का रसोईघर में प्रवेश वर्जित है |  जमीकंद, गरिष्ठ या मिर्च मसालेदार भोजन सर्वथा वर्जित है |  निश्चित तिथियों को हरित का त्याग किया जाता है |